Wednesday, February 10, 2010

Tumne Sotaa Desh (तुमने सोता देश)

तुमने सोता देश जगाया, सोते युवक जगाए ।
धर्म-कर्म के, संघ-तत्व के, अनुपम पाठ पढ़ाए ॥ध्रु॥

                    घोर दासता का बंधन था, संघ मंत्र के दाता ।
                    स्वार्थ-तिमिर में देश फँसा था, नव-भारत निर्माता ।
                    नवल-सृष्टि की तुमने केशव, जीवन दीप जलाए ॥१॥

अपनी संस्कृति, धर्म, जाति का गौरव भी सिखलाया ।
शक्ति, संगठन, राष्ट्र-प्रेम को जीवन-लक्ष्य बनाया ।
कर्मयोग के पथिक तुम्हारे पथ पर जग चल पाए ॥२॥

                    मिट्टी से तुम मूर्त्ति बनाकर, प्राण फूँक देते थे ।
                    युवकों को तुम स्नेह-शक्ति से दिव्य-दृष्टि देते थे ।
                    घर-घर में कर्मवीरों को तुम निर्मित कर पाए ॥३

केशव, स्वप्न तुम्हारा कितने ही नयनों में छाया ।
और साधना के पथ पर ही यौवन बढ़ता आया ।
बाधाओं से मिले प्रेरणा, माँ का दीप जलाए ॥४॥
             -----------------------------
                 !! भारत माता की जय !!

2 comments:

  1. जय हिन्द जय हिंदी जय हिन्दुत्व !!

    ReplyDelete