पूर्ण करेंगे हम सब केशव ! वह साधना तुम्हारी ।
आत्म-हवन से राष्ट्रदेव की, आराधना तुम्हारी ॥ध्रु॥
निशि-दिन तेरी ध्येय-चिंतना, आकुल मन की तीव्र वेदना ।
साक्षात्कार ध्येय का हो, यह मन-कामना तुम्हारी ॥१॥
कोटि-कोटि हम तेरे अनुचर, ध्येय-मार्ग पर हुए अग्रसर ।
होगी पूर्ण सशक्त राष्ट्र की, वह कल्पना तुम्हारी ॥२॥
तुझ-सी ज्योति हृदय में पावें, कोटि-कोटि तुझ-से हो जावें ।
तभी पूर्ण हो राष्ट्रदेव की, वह अर्चना तुम्हारी ॥३॥
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!! भारत माता की जय !!
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