माटी से अनुपम प्यार है, माटी से अनुपम प्यार है ॥ध्रु॥
इस धरती पर जन्म लिया था, दशरथ-नंदन राम ने ।
इस धरती पर गीता गायी, यदुकुल-भूषण श्याम ने ।
इस धरती के आगे झुकता, मस्तक बारम्बार है ॥१॥
इस धरती की गौरव-गाथा, गायी राजस्थान ने ।
इसे पुनीत बनाया अपने, वीरों के बलिदान ने ।
मीरा के गीतों की इसमें, छिपी हुई झंकार है ॥२॥
कण-कण मंदिर इस माटी का, कण-कण में भगवान है ।
इस माटी से तिलक करो, यह अपना हिन्दुस्थान है ।
हर हिंदु का रोम-रोम, भारत का पहरेदार है ॥३॥
हमको अपने भारत की, माटी से अनुपम प्यार है ।
माटी से अनुपम प्यार है, माटी से अनुपम प्यार है ॥
!! भारत माता की जय !!
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