Sunday, February 7, 2010

Hum Swadesh Ke Sapoot (हम स्वदेश के सपूत)

हम स्वदेश के सपूत, आज पग बढ़ा चलें ॥ध्रु॥

हाथ में अंगार है,
हर चरण पहाड़ है,
हम बढ़े जिधर उधर, आंधियाँ ही बढ़ चलें ॥१॥

मातृभूमि तू न डर
धीर धर विश्वास कर,
शत्रु शीश बीनती है, यह दुधार जब चले ॥२॥

है यहाँ कलह न द्वेष,
एक प्राण है स्वदेश,
जय हमारे हाथ में है, हम सभी विचार लें ॥३॥

हम स्वदेश के सपूत, आज पग बढ़ा चलें ॥

!! भारत माता की जय !!

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