आओ हम सब मिलकर गाएं, जग जननी की गान ॥ध्रु॥
स्वर्ण-मुकुट मस्तक पर भाता,
चरणों में सागर लहराता,
मलय पवन जिसका गुण गाता,
सबसे न्यारा, जग का तारा, भारत देश महान ॥१॥
यहीं कृष्ण ने जन्म लिया था,
दुष्टों का संहार किया था,
जग को नव सन्देश दिया था,
लहर-लहर यमुना भी गाती, सुन लो इसके गान ॥२॥
चन्द्रगुप्त की जन्मभूमि यह,
राणा की भी मातृभूमि यह,
वीर शिवा की कर्मभूमि यह,
कोटि-कोटि वीरों ने इस पर, प्राण किए बलिदान ॥३॥
मातृभूमि हम सबकी प्यारी,
जगती में इसकी छवि न्यारी,
कोटि स्वर्ग इस पर बलिहारी,
इसकी रक्षा-हित हम कर दें, अर्पित तन-मन-प्राण ॥४॥
!! भारत माता की जय !!
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