Sunday, February 7, 2010

Hum Karein Raashtra Aaraadhan (हम करें राष्ट्र आराधन)

हम करें राष्ट्र आराधन, हम करें राष्ट्र आराधन,
तन से मन से धन से, तन-मन-धन-जीवन से,
हम करें राष्ट्र आराधन ॥ध्रु॥

अंतर से मुख से कृति से, निश्छल हो निर्मल मति से,
श्रद्धा से मस्तक नत से, हम करें राष्ट्र अभिवादन,
हम करें राष्ट्र अभिवादन ॥१॥

अपने हँसते शैशव से, अपने खिलते यौवन से,
प्रौढ़ता - पूर्ण जीवन से, हम करें राष्ट्र का अर्चन,
हम करें राष्ट्र का अर्चन ॥२॥

अपने अतीत को पढ़कर, अपना इतिहास उलटकर,
अपना भवितव्य समझकर, हम करें राष्ट्र का चिंतन,
हम करें राष्ट्र का चिंतन ॥३॥

है याद हमें युग-युग की, जलती अनेक घटनाएँ,
जो माँ के सेवा-पथ पर, आईं बन कर विपदाएँ ।
हमने अभिषेक किया था, जननी का अरिशौणित से,
हमने श्रृंगार किया था, माता का अरिमुंडों से ।
हमने ही उसे दिया था, सांस्कृतिक उच्च सिंहासन,
माँ जिस पर बैठी सुख से, करती थी जग का शासन ।
अब कालचक्र की गति से, वह टूट गया सिंहासन, - २
अपना तन-मन-धन देकर, हम करें पुनर्संस्थापन ॥
हम करें राष्ट्र आराधन ॥४॥

हम करें राष्ट्र आराधन, हम करें राष्ट्र आराधन,
तन से मन से धन से, तन-मन-धन-जीवन से ।
हम करें राष्ट्र आराधन ॥


!! भारत माता की जय !!

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