Wednesday, February 10, 2010

Lakshya Tumhaaraa (लक्ष्य तुम्हारा)

लक्ष्य तुम्हारा प्राप्त किए बिन चैन हम नहीं लेंगे ।
हमें मिली प्रेरणा तुम्हारी पावनतम स्मृति की ॥ध्रु॥

                    जीवन भर संगठन-कार्य को करके बने तपस्वी,
                    पुण्य साध थी एकमेव, यह भारत बने यशस्वी ।
                    हिमगिरी से कन्याकुमारी तक, संस्कृति की जय बोली,
                    राष्ट्र-भक्त थे, ज्ञान-मूर्त्ति थे, ये तत्त्वज्ञ मनस्वी ।
                    है हिंदुत्व राष्ट्र का द्योतक ले विचार यह पावन,
                    हमें मिली प्रेरणा श्रेष्ठतम भारतीय संस्कृति की ॥१॥

प्रभुता का ऐश्वर्य तुम्हारे मन को मोह न पाया,
अहंकार तब प्रतिछाया तक आने में सकुचाया ।
कार्य अहर्निश, कार्य निरंतर, कार्य देश के हित में,
करते रहना ही जीवन है, श्रेष्ठ मंत्र सिखलाया ।
त्याग अहं को कार्य करेंगे सतत राष्ट्र पूजा का,
हमें मिली प्रेरणा तुम्हारी शांत सुमधुर पद्धति की ॥२॥

                    ध्येय तुम्हारा निज जीवन में प्रतिबिंबित कर लेंगे,
                    जीवन अपना कोटि जन्म तक राष्ट्र-कार्य में देंगे ।
                    संघ-मंत्र का गूंजन प्रतिक्षण प्रतिपल आजीवन में,
                    राष्ट्र-देव की प्रतिमा उर में प्रस्थापित कर लेंगे ।
                    हे ! केशव तेरे अनुगामी व्रत लेकर बढ़ते हैं,
                    रोक न पाएगा कोई भी बंधन राह प्रगति की ॥३॥
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                  !! भारत माता की जय !!

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