Wednesday, April 14, 2010

Charaiveti-Charaiveti (चरैवेति-चरैवेति)

चरैवेति-चरैवेति, यही तो मंत्र है अपना ।
नहीं रुकना, नहीं थकना, सतत चलना सतत चलना ।
यही तो मंत्र है अपना, शुभंकर मंत्र है अपना ॥ध्रु॥

                    हमारी प्रेरणा भास्कर, है जिनका रथ सतत चलता ।
                    युगों से कार्यरत है जो, सनातन है प्रबल ऊर्जा ।
                    गति मेरा धरम है जो, भ्रमण करना भ्रमण करना ।
                    यही तो मंत्र है अपना, शुभंकर मंत्र है अपना ॥१॥

हमारी प्रेरणा माधव, है जिनके मार्ग पर चलना ।
सभी हिन्दू सहोदर हैं, ये जन-जन को सभी कहना ।
स्मरण उनका करेंगे और, समय दे अधिक जीवन का ।
यही तो मंत्र है अपना, शुभंकर मंत्र है अपना ॥२॥

                    हमारी प्रेरणा भारत, है भूमि की करें पूजा ।
                    सुजल-सुफला सदा स्नेहा, यही तो रूप है उसका ।
                    जिएं माता के कारण हम, करें जीवन सफल अपना ।
                    यही तो मंत्र है अपना, शुभंकर मंत्र है अपना ॥३॥

चरैवेति-चरैवेति, यही तो मंत्र है अपना ।
नहीं रुकना, नहीं थकना, सतत चलना सतत चलना ।
यही तो मंत्र है अपना, शुभंकर मंत्र है अपना ॥
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                !! भारत माता की जय !!

10 comments:

  1. आपके ब्लॉग पर आना और सखा गीत पढ़कर अच्छा लगा

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  2. चरैवेति-चरैवेति---

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  3. जय हिन्द । जय भारत ।

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  4. Replies
    1. Iska arth hai ke desh ke liye hum sada chalte rahenge yane ke desh ki raksha karenge

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  5. भारत माता की जय

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  6. Philosophy of life and Duties of every citizen of Bharat are reflecting in this padya,Dr.kesari

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