माँ बस यह वरदान चाहिए |
माँ बस यह वरदान चाहिए ||
ह्रास मिले या त्रास मिले, विश्वास मिले या फांस मिले |
गरजे क्यों न काल ही सम्मुख, जीवन का अभिमान चाहिए ||२||
कंटक पथ पर गिरना-चढ़ना, स्वाभाविक है हार-जीतना |
उठ-उठ कर हम गिरें, उठें फिर, पर गुरुता का ज्ञान चाहिए ||४||
माँ बस यह वरदान चाहिए |
माँ बस यह वरदान चाहिए ||
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माँ बस यह वरदान चाहिए ||
जीवन-पथ जो कंटकमय हो, विपदाओं का घोर विलय हो |
किन्तु कामना एक यही बस, प्रतिपल पग गतिमान चाहिए || १ ||
गरजे क्यों न काल ही सम्मुख, जीवन का अभिमान चाहिए ||२||
जीवन के इन संघर्षों में, दुःख-कष्ट के दावानल में |
तिल-तिल कर तन जले न क्यों पर, होठों पर मुस्कान चाहिए |||३||
उठ-उठ कर हम गिरें, उठें फिर, पर गुरुता का ज्ञान चाहिए ||४||
मेरी हार देश की जय हो, स्वार्थ-भाव का क्षण-क्षण क्षय हो |
जल-जल कर जीवन दूं जग को, बस इतना सम्मान चाहिए ||५||
माँ बस यह वरदान चाहिए ||
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!! भारत माता की जय !!
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