Friday, August 8, 2014

Maa Bas Yah Vardaan Chaahiye (माँ बस यह वदान चाहिए)

माँ बस यह वरदान चाहिए |
माँ बस यह वरदान चाहिए ||

                    जीवन-पथ जो कंटकमय हो, विपदाओं का घोर विलय हो |
                    किन्तु कामना एक यही बस, प्रतिपल पग गतिमान चाहिए || १ ||

ह्रास मिले या त्रास मिले, विश्वास मिले या फांस मिले |
गरजे क्यों न काल ही सम्मुख, जीवन का अभिमान चाहिए ||२||

                    जीवन के इन संघर्षों में, दुःख-कष्ट के दावानल में |
                    तिल-तिल कर तन जले न क्यों पर, होठों पर मुस्कान चाहिए |||३||

कंटक पथ पर गिरना-चढ़ना, स्वाभाविक है हार-जीतना |
उठ-उठ कर हम गिरें, उठें फिर, पर गुरुता का ज्ञान चाहिए ||४||

                    मेरी हार देश की जय हो, स्वार्थ-भाव का क्षण-क्षण क्षय हो |
                   जल-जल कर जीवन दूं जग को, बस इतना सम्मान चाहिए ||५||

माँ बस यह वरदान चाहिए |
माँ बस यह वरदान चाहिए ||
                           ----------------------------
                             !! भारत माता की जय !!

No comments:

Post a Comment